Home ANAND THAKAR'S WORD Personal Computer कंप्यूटर की बनी बनाई क़ब्र के किनारे प्रतिक्षार्थी

Personal Computer कंप्यूटर की बनी बनाई क़ब्र के किनारे प्रतिक्षार्थी

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Personal Computer waiting for meaning

कंप्यूटर की बनी बनाई क़ब्र के किनारे प्रतिक्षार्थी

गौर से देखिए यह तस्वीर…

Personal Computer waiting for meaning

यह तस्वीर बता रही है कि किताबें तो किताबें पर अब मानों स्मार्ट फोन ने पर्सनल कंप्यूटर के क़ब्र की खुदाई भी शुरु कर दी है। किताबों को अलमारी में पहुंचाने वाली कंप्यूटर भी अब स्टोर रूम के किवाड़ के पीछे छोड़ दिए जाने लगीं।

अब वो भी दिन आएंगे की क्लास के मास्टरजी छात्रों से निबंध लिखवाएंगे ‘ मेरे पर्सनल कंप्यूटर की आत्मकथा ‘ या फिर ‘ पर्सनल कंप्यूटर का परिचय ‘ आदि। साहित्य पत्रिकाओं में कोई ज्ञानपीठ विजेता लिखेगा ‘ पर्सनल कंप्यूटर: मेरा संवेदन सख्यभाव ‘ या फिर स्तंभ लेखक लिखेगा ‘ पर्सनल कंप्यूटर से मेरा पर्सनल पर्सनल ‘। अरे! कवि, गज़लकार या नए युग के नए गुलज़ार शायद नज़म पेश करेंगे…

मै और मेरा कंप्यूटर
अक्सर ये बातें करते थे…
तू थी तो तुझ में काम करने के बहाने बिबियों से छुटकारा मिलता था।
तेरी कि – बोर्ड की टकटक से सांसे चलती थी।
छुपाया जा सकता था कोई खास ई मेल
कम लोगों को पता होने के कारण
घर में ही मजा लिया जाता था दिल के ‘ tiktok ‘ का
अब फोन वो पहले जानती है, मै बाद में!
अरे! कंप्यूटर तेरे बहाने घर में पढ़े लिखे थे
अब बाघिन सी कतराती है लिए हाथ में मोबाईल।
बस अब..
अपने कंप्यूटर से बिछड़ ने कि सज़ा पता हूं,
अब मैं बर्तन धोते हुए नज़र आता हूं।

हां यहीं तो…

अतित्तरागी ललित निबंध लिखेगा:
एक जमाना था टाइपिंग स्किल डेवलप के बहाने सायबर कैफे जाय करते थे। वहां गेम खेल खेल के माउस की प्रैक्टिस बढ़ा दी, साल्ले स्मार्ट फोन वालों ने माउस ही निकाल दिया। हमारे जमाने में पी. सी. का दो मतलब हुआ करता था… एक पी.सी. यानी प्रियंका चोपड़ा और दूसरा पर्सनल कंप्यूटर। पर वक्त की वारदात देखो दीपिका.., कैटरीना.. जैसे मोबाईल आ जाने से शायद दोनों की करियर ख़तरे में आन पड़ी!

बस अब में बैठा हूं मेरे पर्सनल कंप्यूटर को कफ़न बंधे हुए, शायद कोई मेरी लेखनी को दो स्तंभ की जगह दे दें, ये समझ के कि ये स्मार्ट फोन पे कंप्यूटर कि कब्र ही नहीं बना रहा बल्कि कब्र की भी नई तकनीक लाने की सोचता है। छाप दो कल को मीडिया को सीढ़ियां ना दिखा दे।

दो बोल वॉट्सेपिया शायर के:

किताबों में नाम लिखे होते थे तो कबाड़ी को ना देकर जला डालते थे।
हार्ड डिस्क खुद करप्ट हो जाती है इक्स वेक्स देख कर।

© – आनन्द ठाकर

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